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देश के इतिहास में पहली बार डीजल, पेट्रोल से भी महंगा 79.88 रुपये प्रति लीटर पंहुचा

डीजल के दाम में बुधवार को लगातार 18वें दिन बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहा. हालांकि, 17 दिन की लगातार बढ़ोतरी के बाद आज पेट्रोल के दाम नहीं बढ़े हैं.

बुधवार को डीजल के दामों में 48 पैसे की बढ़ोतरी हुई. अब दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गई है. इस बढ़ोतरी के साथ ही देश के इतिहास में पहली बार डीजल, पेट्रोल से महंगा हो गया है.

गौरतलब है कि डीजल अब भी कई शहरों में पेट्रोल से सस्ता है. दिल्ली से सटे नोएडा में यह काफी सस्ता है. नोएडा में डीजल 72.03 रुपये लीटर, मुंबई में डीजल 78.22 रुपये लीटर,चेन्नई में 77.17 रुपये लीटर और कोलकाता में 77.06 रुपये लीटर है.

गौरतलब है कि दूसरे देशों में अक्सर डीजल की कीमत पेट्रोल से ज्यादा रखी जाती है. इसकी वजह यह है कि इसकी उत्पादन लागत पेट्रोल के मुकाबले थोड़ा ज्यादा ही होती है.

लेकिन भारत में सरकारें अभी तक सब्सिडी और टैक्स के द्वारा इसे सस्ता रखने का प्रयास करती रही हैं, क्योंकि यह खेती, ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसे बेहद जरूरी कामों में इस्तेमाल होता है. इंडियन ऑयल के मुताबिक पेट्रोल की बेस प्राइस जहां 22.11 रुपये प्रति लीटर है, वहीं डीजल की बेस प्राइस 22.93 रुपये प्रति लीटर है.

असल में सरकारों की लगातार यह सोच रही है कि पेट्रोल और डीजल में कीमत के अंतर को कम किया जाए. इसकी वजह यह है कि दोनों पर लागत लगभग एकसमान होती है और डीजल सस्ता बेचने के लिए सरकार को सब्सिडी देनी पड़ती है.

डीजल पर सब्सिडी देने के पीछे यह कल्याणकारी सोच थी कि इसका इस्तेमाल एग्रीकल्चर, ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसे जरूरी सेक्टर में होता है, इसलिए इस पर राहत दी जाए.

लेकिन यूपीए सरकार में इस सब्सिडी का बोझ काफी ज्यादा हो गया था, जिसके बाद डीजल और पेट्रोल की कीमत में अंतर कम करने की बात की जाने लगी. तो मोदी सरकार ने पेट्रोल के मुकाबले डीजल पर ज्यादा टैक्स बढ़ा-बढ़ा कर दोनों की कीमत बराबर कर दी है.

डीजल की कीमत बढ़ाने का चौतरफा असर होता है. इससे ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ जाएगी और महंगाई भी बढ़ेगी. तो जनता पर दोहरी मार पड़ेगी. एक तरफ ट्रांसपोर्ट के लिए ज्यादा किराया देना पड़ेगा और महंगे सामान खरीदने पड़ेंगे. इसका ऑटो सेक्टर की बिक्री पर भी काफी गंभीर असर पड़ेगा.

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